जनवरी का नाम ” जेनुस ” के नाम पर रखा
गया है जो दरवाजों और फाटकों का देवता माना जाता है , इस देवता की जो शक्ल मूर्तियों और चित्रों पर नक़्श की गती है उससे साफ पता चलता है कि इसके दो मुंह थे , एक सामने की तरफ। , दूसरा पीछे की तरफ ।
ईसा ( अलयहिससलाम ) से 46 साल पहले जूलियस सीजर ने 1जनवरी को जेनुस देवता के नाम पर साल के पहले दिन के तौर पर चुना , क्योंकि जेनुस प्रतीकात्मक रूप से प्रवेश द्वार का प्रतिनिधित्व करता था , नव वर्ष उपलक्ष्य में इसकी पूर्व रात्रि को वाइल्ड पार्टियां होती है , जो व्यभिचार , अतिरेक वासना एवं भोग विलास से ओत प्रोत होती है, और इनमें उस अव्यवस्तथा को दर्शाया जाता है जिसको
रोमन पौराणिक कथाओं में देवताओं द्वारा ब्रह्माडं की उत्पत्ति और व्यवस्थित दुनिया की रचना का प्रतीक माना जाता है ।
इसके अलावा जेनुस उस समय तक रोमन देवताओं में सबसे बड़ा देवता समझा जाने लगा था , जिसको उसके रोमन उपासक सर्वाधिक बलियां अर्पित करते थे , यहां तक कि मुख्यमंत्री देवता ” जुपिटर ” भी उससे वंचित था ।
इस प्रकार जनवरी के शुरू में नव वर्ष की पूर्व संध्या , और रात्रि स्वयं नव वर्ष के दिन को मनाना अपने आप में मूल रूप से झूटे ख़ुदाओं पर विश्वास करने वाले मूर्तिपूजकों के धार्मिक क्रियाकलापों , रस्मो एवं रीति रिवाजों पर आधारित है ।
परिणामस्वरूप इस्लामी एक मुसलमान के लिए इसमें शामिल होना गुनाह है और वर्जित है , क्योंकि ये एक तरह से उन बुत परस्तो के प्रतीकों , रीति रिवाजों एवं परम्पराओं को बढ़ावा देना है ।
अगर कोई व्यक्ति किसी मुसलमान को ” हैप्पी न्यू ईयर” ( नव वर्ष की बधाई) कहे तो मुसलमान को चाहिए कि ” सेम टू यू ” कहने के बजाय ” हैप्पी होलीडे” या इसी तरह का कोई शब्द कह दे ।
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